सरकार नहीं कर रही वरिष्ठ आईएएस पर कार्रवाही, मामला हाईकोर्ट में

सरकार नहीं कर रही वरिष्ठ आईएएस पर कार्रवाही, मामला हाईकोर्ट में



भोपाल । वन अधिनियम की दो धाराओं का उल्लंघन कर पेंच नेशनल पार्क में टाइगर सफारी के लिए चैनलिंक फैंसिंग करने की अनुमति देने के मामले में सरकार द्वारा विभाग के एसीएस वन एपी श्रीवास्तव पर कार्रवाही न करने का मामला अब हाईकोर्ट में लंबित है। इसके बाद भी सरकार दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाही करने की हिम्मत नहीं दिखा पा रही है। दरअसल इस मामले में वन संरक्षण अधिनियम की धारा 2 और धारा 38 का उल्लंघन किया गया है। जिस पर एनटीसीए ने तत्कालीन इको-पर्यटन बोर्ड के सीईओ विनय वर्मन सहित एसीएस को दोषी माना था। इस मुद्दे पर वन्यप्राणी विशेषज्ञ अजय दुबे ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, मगर सरकार ने अभी तक दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है। वन संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है। चूंकि मामला नौकरशाह से जुड़ा होने की वजह से शासन ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। एसीएस के वन्यप्राणी विशेषज्ञ नहीं होने पर वन्यप्राणी अजय दुबे ने हाईकोर्ट जबलपुर में वर्ष 2016 में जनहित याचिका दायर की। दुबे ने अपनी याचिका में बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष एवं एसीएस एपी श्रीवास्तव और तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी विनय बर्मन के विरुद्ध नामजद याचिका दायर की है। दुबे ने अपनी याचिका में उल्लेख किया है कि पेंच और बांधवगढ़ में टाइगर सफारी बनाना वन संरक्षण अधिनियमों का उल्लंघन है। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने भी टाइगर सफारी की अनुमति नहीं दी। बाघ प्राधिकरण ने चैनलिंक फैंसिंग कराए जाने पर बाघ के शिकार की आशंका भी व्यक्त की थी। इसके बावजूद एसीएस एवं सीईओ ने एनटीसीए के निर्देशों और वन संरक्षण अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन करते हुए पेंच नेशनल पार्क में चैनलिंक फैंसिंग कराई। याचिका में दुबे ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि एनटीसीए की आशंका सही साबित हुई। पेंच नेशलन पार्क में 4 टाइगरों का शिकार हो गया है। याचिकाकर्ता ने बाघ के शिकार के लिए श्रीवास्तव और बर्मन को कसूरवार ठहराया है।
वर्तमान सीईओ ने भी लिखा था पत्र
मप्र ईको पर्यटन विकास बोर्ड के सीईओ एसएस राजपूत ने 6 मार्च 2019 को एपीसीसीएफ प्रशासन एक रमेश कुमार गुप्ता को पत्र लिखते हुए उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर याचिका क्रमांक 15204/2016 में विनय कुमार वर्मन को नामजद प्रतिवादी बनाया गया है तथा उक्त कार्योत्तर स्वीकृति विशेषकर पेंच टाइगर रिजर्व में प्रारंभ की गई टाइगर सफारी के प्रकरण में विभागीय, आपराधिक कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया गया है, फिर भी शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।