नीम, मुनगा और तुलसी के पेस्ट से एक मिनट में होगा सीवेज का पानी शुद्ध
भोपाल। नीम, मुनगा फली और तुलसी से बनाए गए पेस्ट से एक मिनट में ही सीवेज के पानी को शुद्ध किया जा सकता है। हाल ही में त्रिलंगा स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर पीएचई अफसरों के बीच चेन्नई की टीम ने ये डेमोस्ट्रेशन दिया। दरअसल पीएचई सीवेज को फिल्टर करने अब पुरानी व हर्बल तरीकों को अपनाने पर विचार कर रहा है। इसके तहत ही चैन्नई की इस टीम को बुलाया गया है। ये औषधियां गुणों से युक्त पौधों व उनके फलों का भी इसी तरह से उपचार करती है। पीएचई के कार्यपालन यंत्री आरके त्रिवेदी का कहना है कि इस हर्बल तकनीक का बड़े स्तर पर परीक्षण करने का प्रयास कर रहे हैं। यदि ये कारगर रही तो फिर तालाब के साथ कॉलोनी के सीवेज को ट्रीट करना बेहद आसान और सस्ता हो जाएगा। यहां हर्बल तरीके से सीवेज को साफ करने वाले एक्सपर्ट जेए राज के अनुसार ये तीन हजार साल पुरानी भारतीय पद्धति है। इसके कोई रसायन नहीं है। ये पेस्ट पानी में मिलाते ही हानिकारक तत्व नीचे की ओर तल में बैठ जाते हैं। ये तत्व जलीय जंतुओं का भोजन बन जाते हैं। एक गिलास पानी में एक बूंद पेस्ट मिलाते ही ये किसी फिल्टर पानी की तरह शुद्ध हो जाता है। यहां बताया गया कि एक हजार लीटर पानी में 30 मिलीग्राम तक पेस्ट डालना होगा। इसका खर्च डेढ़ पैसा पड़ेगा।
यहां कारगर हो सकती है हर्बल तकनीक
राजधानी की 95 फीसदी कॉलोनियों में एसटीपी नहीं है। पुरानी एसटीपी भी काम नहीं कर रही। पीएचई के भी कुछ फिल्टर प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे। ऐसे में यदि सीवेज को एकत्रित करके इसे हर्बल तकनीक से शुद्ध करने की प्रक्रिया की जाए तो शुद्ध पानी सीधे ही आगे बढ़ाया जा सकता है, जो कई अन्य कामों में उपयोग किया जा सकता है।
तालाबों के आउटलेट पर लगाने होंगे छोटे प्लांट
तालाबों में जिन पाइंट पर सीवेज सीधे मिल रहा है, वहां उसे रोकने के लिए मोबाइल प्लांट बनाने होंगे। सीवेज एकत्रित करके उसे हर्बल तरीके से शुद्ध करके सीधे तालाब की ओर निकाला जा सकता है। इससे तालाब में शुद्ध पानी ही मिलेगी। हालांकि इसके लिए पूरे प्रोजेक्ट तैयार करने की जरूरत है।