काकड़ों की रोशनी से ओंकार पर्वत, दीपों से नर्मदा का आंचल झिलमिलाया

ओंकारेश्वर. तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में एक सप्ताह से चल रहे नर्मदा जयंती महोत्सव का शनिवार को मुख्य दिवस था। सुबह से ही नर्मदा के दोनों तटों पर हजारों श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। सभी मठ-मंदिरों द्वारा विभिन्न घाटों पर पूजन-अभिषेक का इंतजाम किया गया था। दोपहर 12 बजे मां नर्मदा के जन्म समय बड़वाह से ओंकारेश्वर तक नर्मदा पर हेलीकॉप्टर से गुलाब के फूलों की वर्षा की गई। 



घाटों पर अभिषेक प्रारंभ हो गया। उत्तर से दक्षिण तट तक 225 मीटर की चुनरी कई श्रद्धालुओं ने जीवन दायिनी मां रेवा को अर्पित की। शाम को ओंकार पर्वत दीपों से तथा नीचे नर्मदा का आंचल दीपदान से झिलमिला उठा। प्रमुख कार्यक्रम केवलराम घाट पर जय मां नर्मदा युवा संगठन द्वारा किया गया था। यहां वेदपाठी ब्राह्मणों ने मां नर्मदा का 251 लीटर दूध से महाभिषेक कराया। आरती के बाद जेपी चौक से शोभायात्रा निकाली गई। 



सुसज्जित पालकी में देवी प्रतिमा विराजित की गई। कन्याएं कलश धारण किए थीं और श्रद्धालु नाचते-गाते देवी का स्तुतिगान कर रहे थे। यात्रा नगर का भ्रमण कर केवलराम घाट पहुंची। यहां सायंकाल 7 बजे एक बार फिर पूजन-अभिषेक कर महा काकड़ा आरती की गई। ओंकार पर्व पर ओम आकार पर दीप प्रज्ज्वलित कर काकड़ा आरती की गई। नीचे घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं ने सवा लाख दीपदान किए। नगर परिषद द्वारा आतिशबाजी की गई। रात में जेपी चौक पर भजन संध्या का आयोजन किया गया जो देर रात तक चला। जिला व पुलिस प्रशासन ने उत्सव व श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।