बारिश से फड़ गीला, अंकुरित होने लगे धान; बालोद की 80 सोसायटी में बंद हो गई खरीदी

बारिश से फड़ गीला, अंकुरित होने लगे धान; बालोद की 80 सोसायटी में बंद हो गई खरीदी


बालोद । मंगलवार- बुधवार की दरम्यानी रात को हुई लगभग आधे घंटे की बारिश के कारण जनजीवन पर काफी असर पड़ा है। बुधवार को इस बारिश के कारण 110 में से 80 केंद्रों में धान खरीदी बंद हो गई। जिन किसानों ने टोकन कटवाया था, उन्हें वापस लौटा दिया गया। अब कल मौसम साफ रहने पर ही वहां खरीदी होगी। जिले में 5 अरब का धान भी भीग गया। कई केंद्रों में बदहाली भी सामने आई। कहीं फड़ में पानी भरने के कारण कीचड़ रहा तो कहीं धान भीगने से बोरे भी सड़ने लगे। परिवहन के अभाव में अभी भी सोसायटियों में लिमिट से दो से तीन गुना ज्यादा धान रखा हुआ है। पानी भरने से सड़कों पर नजर नहीं आ रहे गड्‌ढेे: बारिश के कारण ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें भी बेहाल हो गई। जहां डामरीकरण नहीं हुआ है या जहां उखड़ चुकी है, वहां बारिश के कारण पानी भरा रहा। गड्ढे तक नजर नहीं आ रहे थे। बालोद से जुंगेरा, सुंदरा से बघमरा, परसदा सहित अन्य इलाकों में बारिश के कारण सड़कों की हालत पस्त दिखी।20 से ज्यादा गांवों में ब्लैकआउट: रात 11 बजे के बाद से ग्राम मेड़की, बघमरा, ओरमा, भोथली, खरथुली सहित आसपास के 20 से ज्यादा गांव में रात भर बिजली बंद रही। जो सुबह 10 बजे के बाद बहाल हुई। बारिश के कारण बालोद से मेंड़की के बीच लाइन में फाल्ट आया था। सुबह ही बिजली कर्मी सुधार के लिए पहुंचे थे।


सरकार का दावा- पूरा धान खरीदा जाएगा खाद्य मंत्री का कहना- नहीं बढ़ेगी तारीख


बलौदाबाजार. जैसे-जैसे धान खरीदी की अंतिम तिथि पास आ रही है वैसे-वैसे किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। चिंता इस कदर बढ़ गई है कि किसान घर-परिवार छोड़कर खरीदी केंद्रों के आसपास ही अपना डेरा डाले हैं। धान बेचने की अंतिम तारीख को 10 दिन बचे हैं। जिले में 15 फरवरी के बाद धान खरीदी बंद हो जाएगी। वैसे तो भले ही सरकार यह दावा कर रही है कि जब तक किसानों का पूरे धान की खरीद नहीं होगी, तब तक खरीदी बंद नहीं की जाएगी मगर दूसरी ओर सरकार के खाद्य मंत्री का यह बयान कि धान खरीदी की तारीख नहीं बढ़ाई जाएगी। यह किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। सरकार के इस सख्त रवैये से ऐसा नहीं लगता कि 15 फरवरी के बाद धान खरीदी की तारीख बढ़ सकती है। इसी के चलते अब किसानों ने खरीदी केंद्रों में रतजगा करना शुरू कर दिया है।


जिला विपणन अधिकारी जसबीर बघेल ने बताया कि जिले के खरीदी केंदरों में बारदानों की समस्या नहीं है। कोशिश की जा रही है कि अंतिम तारीख तक सभी किसान अपना धान बेच सकें। उल्लेखनीय है कि आज भी जिले के 20 प्रतिशत किसान धान बेचने के लिए कतार में हैं। वहीं जिले में अब तक 5 लाख 20 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है, जिसमें मिलर्स तथा धान संग्रहण केंद्रों द्वारा अब तक आधे से भी कम यानि महज 2 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान का ही उठाव हो पाया है। शेष धान आज भी सोसाइटियों में पड़ा हुआ है या यूं कहा जा सकता है कि जितनी धान की खरीदी अब तक हो पाई है, उसमें 48 प्रतिशत धान का ही उठाव हो पाया है। जबकि 52 प्रतिशत धान सोसाइटी में आज भी खुले आसमान के नीचे परिवहन का इंतजार कर रहा है। इस साल प्रदेश में सरकार बदलने के बाद जिस तरह से धान खरीदी में जितने व्यवधान तथा सरकार के नए-नए फरमान के बाद रही सही कसर मौसम ने बिगाड़ दी है। इसके चलते लगातार खरीदी में व्यवधान पैदा होता जा रहा, जिसका खामियाजा सोसाइटी के कर्मचारी तथा किसानों को उठाना पड़ रहा है।


टोकन के लिए महीने से चक्कर : जिले के ग्राम ढेकुना निवासी किसान देवलाल, शत्रुहन कोसले, नवापारा के दुखवा यदु, शांतिलाल धीवर, चोरभट्ठी के साधराम चेलक, कुमार जायसवाल जैसे किसानों को धान का अब तक टोकन नहीं मिला है। किसानों की माने तो वे एक महीने से टोकन के लिए चक्कर काट रहे हैं। कई लोगों ने अपनी ऋण पुस्तिका एवं अन्य दस्तावेज खरीदी केंद्र में जमा कर रखा है। प्रतिदिन खरीदी केंद्र में कर्मचारियों से टोकन के बारे में पूछताछ करते हैं। किसानों की परेशानी यह है कि 15 फरवरी के बाद यदि खरीदी नहीं होगी तो उनको अपना धान करीब 1200 रुपए प्रति क्विंटल में बेचना पड़ेगा।


लिमिट से ज्यादा धान रखना बना चुनौती


धान के रखरखाव की व्यवस्था की उम्मीद सोसाइटियों में की गई थी, किंतु लिमिट से ज्यादा धान सोसाइटी में होने सेे रखरखाव तथा उसे सुरक्षित रख पाना एक तरह से सोसाइटी कर्मियों के लिए चुनौती बन गई है।